“जल नहीं तो जीवन नही” का संदेश फैलाने निकले दाऊदी बोहरा समाज के युवान ताहा फक्कड़, राज लकड़ावाला और कैज़ार जोड़ियावाला।
“जल नहीं तो जीवन नही”, बावजूद इसके जल बेवजह बर्बाद किया जाता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जल-संकट का समाधान जल के संरक्षण से ही है। हम हमेशा से सुनते आये हैं “जल ही जीवन है”। इसी संदेश को लोगो तक और गहराई से पोहोंचाने और जल संकट को कम करने की मुहीम के तहत राजकोट के बीस्ट ब्रिगेड राइडर्स और दावूदी बोहरा समाज के ताहा फक्कड़, राज लकड़ावाला और कैज़ार जोड़ियावाला 1100 किलोमीटर के राइड पर राजकोट - अहमदाबाद - संतरामपुर होते हुवे गलियाकोट (राजस्थान) पोहोंचे। यहां पर स्थित मजार ए फखरी में दुआ की और लोगो में जल संकट और जल को बचाने के लिए लोगो को जागरूक किया।
उन्होंने लोगो के साथ चर्चा करते हुवे लोगो को समझाया की जल के बिना सुनहरे कल की कल्पना नहीं की जा सकती, जीवन के सभी कार्यों का निष्पादन करने के लिये जल की आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर उपलब्ध एक बहुमुल्य संसाधन है जल, या यूं कहें कि यही सभी सजीवो के जीने का आधार है जल। धरती पर सही मायने में मात्र 1% पानी ही मानव के उपयोग हेतु उपलब्ध है।
नगरीकरण और औद्योगिकीरण की तीव्र गति व बढ़ता प्रदूषण तथा जनसंख्या में लगातार वृद्धि के साथ प्रत्येक व्यक्ति के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है देश के कई हिस्सों में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। प्रतिवर्ष यह समस्या पहले के मुकाबले और बढ़ती जाती है, लेकिन हम हमेशा यही सोचते हैं बस जैसे तैसे गर्मी का सीजन निकाल जाये बारिश आते ही पानी की समस्या दूर हो जायेगी और यह सोचकर जल सरंक्षण के प्रति बेरुखी अपनाये रहते हैं।
आगामी वर्षों में जल संकट की समस्या और अधिक विकराल हो जाएगी, ऐसा मानना है विश्व आर्थिक मंच का। इसी संस्था की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि दुनियाभर में 75 प्रतिशत से ज्यादा लोग पानी की कमी की संकटों से जूझ रहे हैं। 22 मार्च को मनाया जाने वाला ‘विश्व जल दिवस’ महज औपचारिकता नहीं है, बल्कि जल संरक्षण का संकल्प लेकर अन्य लोगों को इस संदर्भ में जागरुक करने का एक दिन है।
शुद्ध पेयजल की अनुपलब्धता और संबंधित ढेरों समस्याओं को जानने के बावजूद देश की बड़ी आबादी जल संरक्षण के प्रति सचेत नहीं है। जहां लोगों को मुश्किल से पानी मिलता है, वहां लोग जल की महत्ता को समझ रहे हैं, लेकिन जिसे बिना किसी परेशानी के जल मिल रहा है, वे ही बेपरवाह नजर आ रहे हैं। आज भी शहरों में फर्श चमकाने, गाड़ी धोने और गैर-जरुरी कार्यों में पानी को निर्ममतापूर्वक बहाया जाता है।
कई लोग यह समझ कर पानी का संरक्षण नहीं करते है कि वर्षा ऋतू में और अधिक जल प्राप्त होगा। मगर दुर्भाग्यवश ऐसा होता नहीं है। ग्लोबल वार्मिंग कि वजह से धरती का तापमान पहले से अधिक बढ़ गया है। पृथ्वी का तापमान इतना बढ़ गया है कि सूखे की समस्या का अनुभव सभी को करना पड़ता है।
लोगो को वर्षा के जल को बचाना चाहिए। उसे तालाबों में जमा कर लेना चाहिए। वर्षा के जमा जल को ज़रूरत के समय इस्तेमाल किया जाना चाहिए। हम सबको पेड़ पौधे लगाने चाहिए। जितने अधिक धरती पर पेड़ पौधे होंगे, वर्षा उतनी ही ज़यादा होगी।
पेड़ पौधों को लगातार काटने के वजह से वर्षा ऋतू के वक़्त भी अच्छी वर्षा नहीं होती है। आजकल वैज्ञानिक तरीको का उपयोग करके प्रदूषित जल को शुद्ध करके, फिर से उस जल का उपयोग किया जाना चाहिए ।
अंत में उन्होंने लोगो से अनुरोध किया की जल समस्त प्राणियों के लिए अमृत से कम नहीं होता है। अगर ऐसी स्थिति बनी रही तो वह दिन दूर नहीं कि जल के बिना पूरी पृथ्वी समाप्त हो जायेगी। अभी भी समय है कि हम जल संरक्षण करे और जल को प्रदूषित होने से बचाये। देश की सरकार अपनी तरफ से भरपूर कोशिशें कर रहे है। आम जनता को भी जल की अहमियत समझनी होगी और प्रत्येक व्यक्ति को जल के मामले में जागरूक होना चाहिए। हमारा दायित्व है कि हम जल को बचाये और जल की असली कीमत समझे।
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